एम्स का नया शोध, पेट से ही होगा फेफड़ो का इलाज, जानिए विस्तृत रिपोर्ट

एम्स का नया शोध,  पेट से ही होगा फेफड़ो का इलाज, जानिए विस्तृत रिपोर्ट

एम्स संस्थान पेट के अच्छे बैक्टीरिया फेफड़ों की बीमारियों का इलाज करेंगे। एम्स ने एक शोध में पाया कि आंत में पाए जाने वाले प्रोबायोटिक के इस्तेमाल से सांस की बीमारी से पीड़ित आईसीयू में भर्ती मरीज की रिकवरी बेहतर होती है। फिलहाल यह शोध लैब में चूहों पर किया गया है। जो कारगर साबित हुआ।

विशेषज्ञ बताते हैं कि एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) श्वसन विफलता का एक प्रगतिशील रूप है। कोविड-19, निमोनिया, सेप्सिस और आघात में यह जिंदगी के लिए खतरा पाया गया। एआरडीएस मरीज को गहन देखभाल इकाई (आईसीयू) में लाने के लिए करीब 10 फीसदी और मौत के लिए करीब 40 फीसदी जिम्मेदार पाया गया। एआरडीएस और सेप्सिस में श्वेत रक्त कोशिकाएं (डब्ल्यूबीसी) न्यूट्रोफिल, सूजन पैदा करने के लिए दोहरी जिम्मेदार पाई गई।

ये डब्ल्यूबीसी संक्रामक एजेंटों से लड़ने में महत्वपूर्ण है। साथ ही ऊतक की चोट वाली जगह को ठीक करने में भी सक्षम है। हालांकि, फेफड़ों से इन डब्ल्यूबीसी की निकासी में देरी के कारण हवा की थैली काम नहीं कर पाती। इससे एआरडीएस की गंभीर समस्या हो सकती है। साथ ही फेफड़ों के भीतर तरल पदार्थ का निर्माण होता है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन के संचार की क्रिया बाधित होगी है। मौजूदा समय में इसके उपचार के लिए कोई चिकित्सा तकनीक नहीं है।

इस समस्या को देखते हुए एम्स के बायोटेक्नोलॉजी विभाग में डॉ. रूपेश श्रीवास्तव की टीम ने एक अध्ययन लैब में चूहों पर किया गया है। शोधकर्ताओं का मानना है कि प्रोबायोटिक के इस्तेमाल से सांस की बीमारी से पीड़ित आईसीयू में भर्ती इंसान की भी जल्द रिकवरी हो सकती है। अध्ययन के मुताबिक पेट में पाया जाने वाला बैक्टीरिया लैक्टोबैसिलस रमनोसस फेफड़ों की बीमारी से जल्द ठीक करने में मददगार है। यह शोध जर्नल क्लीनिकल इम्यूनोलॉजी में प्रकाशित हुआ है।

50 फीसदी में परिणाम बेहतर
शोध के दौरान इस तकनीक की मदद से एआरडीएस व सेप्सिस से पीड़ित चुहों की जीवित रहने की दर को 50 फीसदी तक बढ़ा दिया। शोध में पता चला कि उनके फेफड़ों में तरल पदार्थ का निर्माण कम हो गया। सांस की गंभीर स्थिति एडीआरएस में फेफड़ों में पानी भरने से तबीयत और खराब हो जाती है। यह बैक्टीरिया संक्रमण से लड़ने वाली श्वेत रक्त कोशिकाएं न्यूट्रोफिल की मात्रा को सही से नियंत्रित करते हैं। अब इस अध्ययन को इंसानों पर भी किया जाएगा।

पाचन तंत्र को करता है मजबूत
एलआर ब्यूटायरेट जैसे शॉर्ट-चेन फैटी एसिड (एससीएफए) नामक कई छोटे अणुओं का उत्पादन करके पाचन तंत्र को मजबूत करता है। शोध में पाया गया कि यह बैक्टीरिया परिसंचरण में प्रवेश करता है और फेफड़ों तक पहुंचता है। प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को विनियमित करने के लिए जिम्मेदार विभिन्न रिसेप्टर्स पर कार्य करता है।

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